लेखनी कहानी 15 पार्ट सीरीज चेलैन्ज-18-May-2023 एक विधवा का श्राप
एक विधवा का श्राप भाग :1
महावीर मै तुझे श्राप देती हूँ जैसे तूने आज मेरे पति की निर्मम हत्या की है उसी तरह तेरी भी हत्या होगी तू भी बूंद बूंद पानी के लिए तरसेगा। यह एक उस औरत का श्राप है जिसे तूने आज विधवा बना दिया है। यह कहते हुए अलका ने अपनी चूडि़या़ तोड़ डाली और अपनी मा़ग का सिन्दूर पौछ डाला।
अलका की छः महीने पहले ही नीरज से शादी हुई थी। अलका जब दुल्हन बनकर ससुराल आई थी उसका ससुराल में बहुत जोर शोर से स्वागत हुआ था। उसको ऐसा नही मालूम था कि वह इतनी जल्दी विधवा होजायेगी।
नीरज हाई कोर्ट में वकील था। वह हमेशा गरीबों की सहायता करता था । गरीबौ से उसने कभी भी पैसा नहीं लिया था। नीरज गरीबौ से केवल कोर्ट का खर्चा लेता था। इसीलिए गरीब व असहाय लोग अपना मुकद्दमा नीरज के पास ही लेकर आते थे।
अभी कुछ दिन पहले एक गाँव की जवान लड़की का अपहरण होगयाथा। लड़की का नाम ऊषा था। ऊषा बारहवी कक्षा में पढ़रही थी। उसी कालेज में एक नेता का लड़का भी पढ़ रहा था। उस लड़के का नाम अनुज था।
अनुज कालेज में पढ़ने नहीं लडकियां छेड़ने आता था।अनुज ऊषा के आगे पीछे चक्कर लगाने लगा। ऊषा उससे परेशान होगयी। ऊषा ने उसकी शिकायत आफिस में लगाई लेकिन ऊषा की वहां कौन सुनने वाला था क्यौकि अनुज के पापा कालेज की मेंनेजमैन्ट कमेंटी के प्रमुख थे क्यौकि वह हरसाल बहुत चन्दा देते थे ।
इसीलिए अनुज को कोई भी कुछ नहीं कहता था। पहले भी अनुज की इन हरकतौ के कारण कितनी लड़कियां बीच मेंही कालेज छोड़ गयी थी।
अनुज ने एक दिन तो सभी हदें पार कर डाली। ऊषा लाइब्रेरी में बैठी हुई थी कि उसी समय अनुज अपने साथियौ के साथ वहाँ आया और ऊषा के पास बैठते हुए बोला ," माई डीयर ऊषा ! चलो एक एक कप काफी पीते है।"
ऊषा बोली," देखो अनुज मैं यहाँ मटरगस्टी करने नहीं आती हूँ क्यौकि मेरे पापा तुम्हारे पापा की तरह अमीर नहीं हैं?"
अनुज बोला," इसमें क्या बडी़ बात है ? तुम मेरी बात मानलो जिससे तुम्हारे पापा भी अमीर होजायेगें। लेकिन तुम तो सीधी तरह बात ही नहीं करती हो। तुम्हारे तो नखरे ही बहुत हैं। ना जाने तुम क्या चाहती हो। आज तक मैने जिस लड़की पर नजर डाली है श्रवह खुद बखुद मेरी गोद में आकर बैठ गयी है।"
" मिस्टर अनुज तुम भूल रहे हो मै उन लड़कियौ में से नही हूँ कि खुद बखुद तुम्हारे इशारे पर नांचने लगूँगी।" ऊषा ने जबाब देते हुए कहा।
ऊषा तू किस खेत की मूली है हमने मुर्गियां ही हलाल की है। जब घी सीधी उँगलियौ से नहीं निकलता दिखाई देता है हम अपनी उँगली टेडी़ करना भी बखूबी जानते है। अब तुम बताओ मेरी बात सीधी तरह मांनती हो अथवा।़़़़़़़़़़़़़़़़़? * इतना कहकर अनुज ने ऊषा का हाथ पकड़ना चाहा।
लेकिन ऊषा ने अपना हाथ छुडा़कर उसके गाल पर तमांचाजड़ दिया।
अनुज इसके लिए तैयार नहीं था और यह भी नहीं मालूम था कि ऊषा ऐसा भी कर सकती है। अनुज अपने गाल को सहलाता हुआ बोला," ऊषा इस थप्पड़ का जबाब तुझे अवश्य दूँगा । देख लेना जब तक तूने मेरे पैरौ में पड़कर मांफी नहीं मांगी तब तक मै चैन से नहीं बैठनेवाला। "
ऊषा ने गुस्से में यह सब कर तो दिया लेकिन जब उसे अनुज की पहुँछ के बारे में जानकर वह सोचने पर मजबूर होगयी। लेकिन तीर कमान से तीर निकल चुका था। अब जो होगा देखा जायेगा।यह सोचकर वह दुःखी मन से घर वापिस आगयी।
ऊषा दूसरे दिन शरीर में दर्द का बहाना बनाकर कालेज नहीं गयी। अब ऊषा ने इस घटना की जिक्र अपने घर भी नहीं किया। जब वह कालेज नहीं गयी तब उसकी क्लास के एक साथी रमल का फौन आया और उसने कालेज न आने का आरण पूछा तब उसने बुखार का बहाना कर दिया।
रमल ने ऊषा कोसाहस बधाते हुए समझाया चिन्ता की कोई बात नहीं है क्यौकि मैने उस दिन की घटना का पूरा वीडियो बना लिया है। जिसमें तुम्हारी कोई गल्ती नहीं है? क्यौकि सबसे पहले बद्तमीजी अनुज ने ही शुरू की थी और इस बद्तमीजी को सहन करलेना भी अपराध होता है। ऊषा तुमने उस समय उस बद्तमीज इन्सान को सही सबक सिखाकर सही रास्ता दिखाया है। वह भविष्य में किसी भी लड़की को छेड़ने से पहले सौ बार सोचेगा। मै तुम्हारे साथ हूँ अब इस लडा़ई में तुम अकेली नही हो मै तुम्हारे साथ खडा़ हूँ। "
"रमल ! जब बक्त आयेगा तब तुम भी दूर भागते नजर आओगे। वह बडे़ लोग है वह अपना हरकाम पैसे के बल पर करवाना जानतेहै। उसका बाप नेता है। गुस्से में जो होगया वह होगया।"\' इतना कहकर उसने फौन काट दिया।
15 पार्ट सीरीज चेलैन्ज हेतु रचना भाग १
नरेश शर्मा " पचौरी"
वानी
31-May-2023 10:26 AM
बहुत खूब
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Varsha_Upadhyay
24-May-2023 07:09 AM
बेहतरीन शुरुआत
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Mohammed urooj khan
21-May-2023 09:41 PM
अच्छी शुरुआत
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